दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने झारखंड के महुआ गढ़ी में कोयला ब्लॉक आवंटन के मामले में पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता समेत तीन अधिकारियों को बरी कर दिया है. स्पेशल जज संजय बंसल ने तीनों को बरी करने का आदेश दिया. कोर्ट ने मेसर्स जास इंफ्रास्ट्रक्चर कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड (जेआईसीपीएल) और उसके निदेशक मनोज कुमार जायसवाल को दोषी करार दिया.

कोर्ट ने एचसी गुप्ता के अलावा जिन अधिकारियों को बरी करने का आदेश दिया है, उनमें कोयला विभाग के तत्कालीन ज्वाइंट सेक्रेटरी केएस क्रोफा, कोयला विभाग के तत्कालीन आवंटन निदेशक केसी समारिया शामिल हैं. मामला झारखंड के महुआ गढ़ी कोयला ब्लॉक में जेआईसीपीएल को कोयला ब्लाक आवंटन का था. जेआईसीपीएल पर आरोप था कि उसने हेराफेरी और फर्जीवाड़ा कर कोयला ब्लॉक का आवंटन हासिल किया.

इस मामले में कोयला विभाग के तीनों अधिकारियों पर आरोप था कि उन्होंने लोकहित की अनदेखी कर जेआईसीपीएल को राष्ट्रीयकृत प्राकृतिक संसाधन का दोहन करने की अनुमति दी. इस मामले में कोर्ट ने दिसंबर 2016 में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 468 और 120बी के अलावा भ्रष्टाचार निरोधक कानून की संबंधित धाराओं के तहत आरोप तय किए थे. अप्रैल 2024 में सीबीआई ने इस मामले में प्रारंभिक क्लोजर रिपोर्ट दाखिल किया था और कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है.

बाद में सीबीआई ने 14 अक्टूबर 2024 को विस्तृत क्लोजर रिपोर्ट दाखिल किया था. 20 नवंबर 2024 को कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए आरोपियों के खिलाफ संज्ञान लिया था. बता दें कि इसके पहले 9 दिसंबर 2024 को कोर्ट ने झारखंड के बृंदा, सिसई और मेराल में अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्टर को कोयला ब्लॉक आवंटन के मामले में कंपनी अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर और इसके मैनेजिंग डायरेक्टर मनोज कुमार जायसवाल और पूर्व डायरेक्टर रमेश कुमार जायसवाल को दोषी ठहराया था.