कायाकल्प करना तो बहना है
जुबेर कुरैशी
नारायण..नारायण..हे प्रभु आपकी माया भी निराली है। अब देखों ना प्रभु एक समय था जब डी कंपनी के नाम से चर्चित यह बिल्डर सत्ता का पावर हाउस हुआ करते थे और लगभग 27 हजार करोड़ के आसामी बन गए थे.. यह वह समय था जब इन बिल्डर के हुक्म के बिना प्रशासन में पत्ता भी नहीं हिलता था यहां तक की संतरी से लेकर ब्यूरोक्रेटस के स्थानतरण और पदस्थापना तक इनके इषारे पर ही होती थी। वहीं निर्माण कार्य से जुड़ा हर बड़ा ठेका भी इन्हीं की कंपनी का मिलता था किन्तु प्रभु अब समय बदल चुका है और इनका पूरा कारोबार भी प्रदेश से समेट चुका है। यहां तक की इनकी आलीशांन होटल भी इनके हाथ से जा चुकी है। प्रभु अब यह तो नहीं पता की इसके पीछे कारण क्या है परन्तु अभी जो समाचार सुनने को मिल रहा है वह यह है कि इन बिल्डर ने हाल ही में राजधानी के दस नंबर स्टाप स्थ्ति एक तरण पुष्कर की कायाकल्प करने का छोटा सा ठेका उठाया है । इस तरण पुष्कर का कायाकल्प कर यहां तरण पुष्कर के साथ ही यहां जिम और फिटनेस सेंटर भी बनाया जा रहा है । प्रभु सुनने में तो यहां तक आ रहा है कि बिल्डर का उदेष्य तरण पुष्कर का कायाकल्प करना नहीं बल्कि इसकी बेषकिमती जमीन हथियाना हैं ।
यूं जा रहे है जैसे जानते नहीं
प्रभु अगला समाचार प्रदेश के एक ऐसे वरिष्ठ आईएएस से जुडा हुआ है जो पिछले तीन माह से पदोन्नती पाने की प्रतीक्षा कर रहे है। प्रभु यह समाचार सुनने में आपको अत्यत आंनद भी आने वाला है - दरअसल प्रभु सुनने में आया है कि यह आईएएस गोपनीय रुप से किसी संपत्ति की रजिस्टरी कराने भोपाल के आईएसबीटी स्थित पंजीयन कार्यालय पहुंचे थे । यहाँ उन्हें कोई पहचान नहीं पाए इसलिए उन्होंने समय भोजनाकश का चुना परंतु प्रभु होता तो वहीं है जो आप चाहते है तो इन आईएएस अधिकारी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ । जैसे ही यह साहब पंजीयन कार्यलय में दाखिल हुए वैसे ही उनका सामना एक ऐसे व्यक्ति से हो गया जो इन साहब को बहुत अच्छे से पहचानता था । साहब भी उस व्यक्ति को देख कर सकपका गए। इस पूरे घटनाक्रम में आंनददायक बात यह रही कि साहब का जिस व्यकित से सामना हुआ उस व्यक्ति को साहब पहले से ही बहुत निकट से जानते है किन्तु उस समय साहब इस व्यक्ति से अपरिचित जैसा व्यवहार करते हुए पंजीयन कार्यालय से नौ दो ग्यारह हो गए। साहब के जाने के बाद वह व्यकित यह गाना गुनगुनाता रहा । मतलब निकल गया तो पहचानते नहीं यूं जा रहे है कि जैसे हमें जानते नहीं।
जूनियर ने बढ़ाई धडक्कन,सीनियर पहुंचे षरण में
प्रभु मध्य प्रदेश का अगला पुलिस मुखिया कौन होगा अभी यह पूरी तरह तय नहीं हुआ है किन्तु इस दौड़ में एक जूनियर अधिकारी को आगे जाते देख एक सीनियर अधिकारी की धड़क्कन जरुर तेज हो गई है । सुनने में आया है प्रभु की जूनियर अधिकारी को मात देने के लिए सीनियर अधिकारी अब पावरफुल केंद्रीय मंत्री की शरण में पहुंच चुके हैं । प्रभु सुनने में तो यह भी आ रहा है कि सीनियर अधिकारी ने अब प्रदेश का पुलिस मुखिया बनने के लिए साम दाम दण्ड भेद की नीति पर काम करना शुरु कर दिया है और जूनियर अधिकारी के कुछ काले चिटठों की फाईल भी केंद्रीय मंत्री तक पहुंचा दी है। सीनियर अधिकारी की इस सर्कियता के कारण ही अब तक प्रदेश को पुलिस का नया मुखिया नहीं मिल पा रहा है। प्रभु यहां आपको बता दें कि सीनियर और जूनियर अधिकारी के बीच केवल वर्षअवंटन का ही अंतर है जबकि दोनों की नियुक्ती का वर्ष और माह तो एक ही है किन्तु यहां भी जूनियर की नियुक्ति सीनियर से एक दिन पहले की है। प्रदेष का पुलिस मुखिया बनने की दौड़ कौन जीतता है यह तो प्रभु आप भलीभांति जानते हो ... तो प्रभु यह थी अब तक की वह खामोश खबरें जो पावर हाउस के गलियारों में खामोशी के साथ सुनाई दी। अब जाने की अनुमति दीजिए ....चलता हुं ....नारायण नारायण