जुबेर कुरैशी 

नारायण...नारायण प्रभु.... हे हरिराम प्रेमानंदी फिर आ गया हूँ..राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में सुनाई देने वाले समाचार लेकर प्रभु सबसे पहले उस समाचार पर आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहता हुं जो पिछले कुछ समय से प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। दरअसल प्रभु एक निगम में पदस्थ दो आईएएस अधिकारियों के बीच कुछ समय से शक्ति प्रर्दशन चल रहा है। जिसके कारण निगम के कर्मचारी और अधिकारी तो परेशान है ही साथ ही वो लोग भी समस्याओं का सामना कर रहे है जिनको अपने काम करने के लिए निगम की अनुमति की अवश्यकता रहती है। सुनने में आ रहा है प्रभु निगम में पदस्थ दोनो आईएएस पूर्व में प्रदेश के दो बड़े जिलों में कलेक्टर रह चुके है किन्तु दोनों के मध्य सीनियर और जूनियर का अंतर ज्यादा है। सीनियर आईएएस निगम में काफी पहले से पदस्थ है जबकि जूनियर आईएएस को यहां पदस्थ हुए अधिक समय नहीं हुआ है। दोनों के बीच टशन का कारण लेन देन बताया जा रहा है - सुनने में आया है प्रभु की सीनियर आईएएस लेने देन में ज्यादा माहिर है जिसके कारण जूनियर से उनकी पटरी नहीं बैठ पा रही है। 


पत्नी के वियोग में दुखी एसपी साहब 

हे प्रभु हे जगन्नाथम एक चर्चित जिले में में पदस्थ पुलिस अधीक्षक पिछले कुछ समय से पत्नी वियोग के चलते दुखी चल रहे है । दरअसल प्रभु इनकी पत्नी प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में पदस्थ है । जिसके कारण यह पुलिस अधीक्षक अपनी आईपीएस पत्नी से मिलने को तरस रहे है। सुनने में आ रहा है प्रभु कि पहले तो यह पुलिस अधीक्षक गुपचुप तरीके से हर सप्ताह शनिवार और रविवार को पत्नी से मिलने चले जाते थे किन्तु एसपी साहब की इस कारास्तानी की सूचना पुलिस मुख्यालय तक पहुंच गयी। जहां से यह फरमान जारी हुआ कि एसपी साहब वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दिए बिना किसी भी सूरत में जिला हैडक्वाटर नहीं छोड़े क्योंकि उनका जिला संवेदनशील है। इस फरमान के बाद से पुलिस अधीक्षक महोदय पत्नी वियोग में यह गाना गुनगुना रहे है कि क्या करें क्या ना करें यह कैसी मुश्किल हाय..कोई तो बता दे इसका हल ओ मेरे भाई -


नेताजी ना घर के रहे ना घाट के 


प्रभु अगला समाचार राजनैतिक गलियारे से सुनाई दे रहा है। सुनने में आ रहा है कि विधान सभा सत्र के दौरान कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले एक तेजतर्रार पूर्व विधायक लंबे समय से राजनीतिक वनवास झेल रहे हैं । जिन अपेक्षाओं के साथ उन्होंने भाजपा का दामन थामा था वह जब पूरी नहीं हुई तो उनका भाजपा से मोहभंग हो गया और कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं के विरोध के बावजूद वह वापस कांग्रेस में शामिल हो गए । कांग्रेस में वापस आने के बाद भी उनका राजनैतिक वनवास खत्म होता नजर नहीं आ रहा है। राजनीति की मुख्यधारा में वापस आने के लिए तड़प रहे इन पूर्व विधायक के साथ अनहोनी यह हो गयी वह जिन कांग्रेस के जिन छत्रप के भरोसे वापस आए थे वही भाजपा में शामिल हो गए। उनके साथ हुई इस अनहोनी के चर्चे कुछ इस तरह हो रहे है कि नेता जी ना घर के रहे ना घाट के .... तो प्रभु यह थी प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारो की वो खामोश खबरें जो कानाफूसी के साथ चर्चा में हैं - तो अब जाने की आज्ञा दीजिए प्रभु चलता हुं नारायण नारायण ...

न्यूज़ सोर्स : Strength display in senior-junior