आईंएएस की गोपनीय यात्रा..गोपनीय बैठक
जुबेर कुरैशी
नारायण.. नारायण.. हे प्रभु , नारदमुनि का प्रणाम स्वीकार करें.. तो प्रभु आज का पहला सामाचार यह है कि पिछले कुछ दिनों से मध्य प्रदेश में नर्सिंग घोटाला खूब सुर्खियां बटोर रहा है। अब तक कई अधिकारी किसी ना किसी कारण से इस घोटाले की भेंट चढ़ चुके हैं और कई अधिकारी अभी भी इसकी आग में झुलस रहे है। अब ताजा सामाचार जो सुनने मे आ रहा है कि इस घोटाले से जुडे एक आईएएस अफसर की रातों की नींद और दिन का चैन उड़ा हुआ है। अपनी रातों की नींद और दिन का चैन वापस पाने के लिए यह अधिकारी पिछले दिनों गुपचुप ढंग से एक महानगर की यात्रा पर पहुंचे । इस यात्रा का प्रबंध भी नर्सिग कालेज चलाने वाले एक गुप्र ने किया । सुनने में यह भी आ रहा है कि यह अधिकारी महानगर की एक बड़ी होटल में रुके और वहीं उन्होंने घोटाले से जुड़े कुछ लोगों के साथ गोपनीय बैठक कर घोटाले से स्वंय को बेदाग निकालने की रणनीति भी बनाई। प्रभु आप तो अंतर्यामी ठहरे आप को तो सब पता है किन्तु भक्तों के लिए यह जानना जरुरी है कि यह वही आईएएस अधिकारी है जो प्रदेश के दो बड़े महानगरों में कलेक्टर भी रह चुके है और इनकी काली कमाई का रिकार्ड एसएस नाम का दलाल रखता है।
लिफाफे का भार बढ़ाने का हुक्म-थाना प्रभारी तनाव में
तो प्रभु बात चली है महानगर की तो महानगर में पदस्थ एक सीनियर आईपीएस से जुड़ा समाचार भी सुन लिजिए-पुलिस गलियारे में इस समाचार की चर्चा इन दिनों खूब सुनाई दे रही है । जिले के प्रमुख के पद पर पदस्थ इन आईपीएस अधिकारी की लिफाफा पद्धति से कुछ थाना प्रभारी और डीएसपी स्तर के अधिकारी दुखी हो चुके है। दरअसल प्रभु सुनने में आ रहा है कि कुछ समय से इन आईपीएस अधिकारी ने थाना प्रभारियों और डीएसपी स्तर के अधिकारियों को लिफाफे का भार बढ़ाने का हुक्म दिया है । अब चूंकि जिले में कई थाने और संभाग ऐसे भी है जहां ऊपरी कमाई नाम मात्र को ही हो पाती है जिससे उनके स्वंय का आंकड़ा भी पूरा नहीं हो पाता ..यही कारण है कि लिफाफे का भार बढ़ाने के हुक्म से कुछ थाना प्रभारी और डीएसपी तनाव में आ गए है।
चलते चलतें
तो चलते चलते एक अंतिम समाचार और सुन ले प्रभु ....सुनने में आ रहा हे कि सार्वजनिक मंच पर कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने वाले एक माननीय का कुछ दिनों में ही भाजपा से मोहभंग हो गया है और अब वह वापस कांग्रेस में लोटना चाहते हैं किन्तु कांग्रेस के कुछ दिग्गज उनकी वापसी में रुकावट बने हुए है। हालांकि प्रभु यह माननीय अभी भी सदन में कांग्रेस के सदस्य बने हुए है और उन्होंने सदन की सदस्यता से त्यागपत्र भी नहीं दिया है। वहीं कांग्रेस ने जरुर उनकी सदस्यता समाप्त करने के लिए अध्यक्ष को पत्र लिख दिया है। दरअसल प्रभु इन माननीय को भय सता रहा है कि यदि उन्होंने त्यागपत्र दिया तो फिर से माननीय बनना उनके लिए मुश्किल हो सकता है और यही कारण है कि वह पूरी शिद्दत से कांग्रेस में वापस लोटने को बेताब दिखाई दे रहे हैं। तो प्रभु यह थी अब तक कि वह खामोश खबरें जो राजनीतिक, प्रशासनिक और पुलिस गालियारे में सुनाई दे रही है... अब चलता हूं.. नारायण... नारायण!