नारदमुनि की खामोश खबर
जुबेर कुरैशी
एसपी -कलेक्टर टारगेट पर
नारायण..नारायण..हे प्रभु ..हे जगन्नाथम नारदमुनि का प्रणाम स्वीकार करें ...आगे समाचार यह है कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के एक पड़ोसी जिले के कलेक्टर और एसपी से सरकार के मुखिया नाराज हो गए हैं। प्रभु मुखिया की नाराजगी की उड़ती उड़ती वजह जो सुनाई दे रही है वह यह है कि एसपी कलेक्टर के विरुध अपने जिले में चुनाव के दौरान पुराने आका के पक्ष में जमकर फर्जी मतदान कराने की शिकायतें सामने आना है। प्रभु राजनीतिक गलियारे में इस तरह की चर्चा भी सुनाई दे रही है कि कलेक्टर-एसपी पर जिस प्रत्याशी के पक्ष में फर्जी मतदान कराने की शिकायतें मिली है वह प्रत्याशी तो खुद मुखिया के ही दल का है तो फिर नाराजगी क्यों। प्रभु सुनने में यह आ रहा है कि मुखिया नहीं चाहते की उक्त प्रत्याशी किसी भी तरह बम्पर और रिकार्ड मतों से चुनाव जीतें। मुखिया पर भी उपर से भारी दबाव था कि कुछ भी हो यह प्रत्याशी रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीत न पाए। इसका भी कारण है प्रभु...यदि यह प्रत्याशी रिर्काड मतों से चुनाव जीतता है तो उसकी राजनीतिक ताकत बढ़ने के साथ ही उसका कद भी उंचा होगा और यहीं उपर से कोई नही चाहता। अब चूंकि कलेक्टर और एसपी ने इस प्रत्याशी के पक्ष में जमकर फर्जी मतदान करा दिया है तो उसके इतिहासिक मतों से जीत दर्ज करने की संभावना भी बढ़ गयी है। मुखिया के कलेक्टर एसपी से नाराजगी के पीछे मुख्य कारण यही है ।
मै चाहे यह करु मैं चाहे वो करु मेरी मर्जी
प्रभु यदि नियम का पालन कराने वाला ही स्वंय नियम विरुध कार्य करने लगे तो इसे आप क्या कहेंगे। प्रभु मंत्रालय के गलियारे में इन दिनों नियम विरुध कार्य करने वाले एक आईएएस की चर्चा आम है। मंत्रालय में पदस्थ सचिव स्तर के एक आईएएस जिनके पास सहकारिता से जुडे एक फेडरेशन का भी कार्यभार है। अब इन आईएएस अफसर के बारे में चर्चा है कि उन्होंने नियम को ताक पर रख अपने विभाग में दो युवतियों को नौकरी पर रख लिया है। इन युवतियों का वेतन भी 25-25 हजार रुपये निर्धारित किया गया है। यह वेतन इन युवतियों को फेडरेशन के खाते से जा रहा है। विभाग के लोगों के बीच इस आईएएस अफसर के इस कारनामें की खूब चर्चा है..
पुलिस कमिश्नरी से हुआ मोहभंग
कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता कभी जमी तो कभी आसमां नहीं मिलता। प्रभु यह पंक्ति इन दिनों मध्य प्रदेश के एक शहर की पुलिस कमिश्नरी में पदस्थ एक आईपीएस अफसर पर फिट बैठ रही है। दरअसल प्रभु सुनने में आ रहा है कि इन आइपीएस अफसर का अपनी पदस्थापना से मोहभंग हो गया है। सुनने में आया है कि यह आईपीएस अफसर जिस अपेक्षा के साथ साम दाम दण्ड भेद का उपयोग कर पुलिस कमिश्नरी के महत्तवपूर्ण पद पर पदस्थ हुए थे उस पद से उनकी अपेक्षा पूरी नहीं हो पा रही हैं जिसके कारण उनका पुलिस कमिश्नरी से ही मोहभंग हो गया है। इस पद पर रहते यह आईपीएस खुद को बेबस और लाचार महसूस कर रहे है। सुनने में आ रहा है प्रभु की चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के बाद यह आईपीएस अफसर पुलिस कमिश्नरी को बाय-बाय कर कर सकतें है।..तो प्रभु यह थी अब तक की खामोश खबरें.. जो राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में खामोशी के साथ चर्चा में बनी हुई है.. अब जाने की अनुमति दीजिए प्रभु.. नारायण नारायण..