घोर विरोधी नेता जी के बदले सुर
नारदमुनि स्पीक
नारायण नारायण , प्रभु सुना है कि राजनीति में ना कोई किसी का स्थाई दोस्त होता है और ना ही कोई स्थाई दुश्मन, क्या यह सही है और यदि सही है तो मध्य प्रदेश में ,ऐसा होता दिखाई दे रहा है। प्रभु सुनने में आ रहा है कि लंबे समय से सक्रिय राजनीतिक परिदृश्य से गायब भाजपा के एक अति वरिष्ठ नेता इन दिनों श्रीमंत सिंधिया के गुणगान करते नजर आ रहे हैं। प्रभु यह वही नेता जी है जिन्हे श्रीमंत सिंधिया कभी एक आंख नहीं सुहाते थे और इनके अधिकतर बयान श्रीमंत सिंधिया पर ही केंद्रित होते थे। यह नेताजी सिंधिया के घोर विरोधी माने जाते थे लेकिन अब समय बदल चुका है और श्रीमंत के घोर विरोधी माने जाने वाले यह नेताजी श्रीमंत की योग्यता के गुणगान करते नहीं थक रहे है। अब प्रभु आपके मन में यह प्रश्न अवश्य उत्पन हो रहा होगा कि आखिर घोर विरोधी नेेता जी का हृदय अचानक परिवर्तित कैसे हो गया तो प्रभु इस प्रश्न के उत्तर में जो सुनाई पड़ रहा है वह यह कि श्रीमंत सिधिया का मध्य प्रदेश की राजनीति मे कद तेजी से बढ़ रहा है और उनके बढ़ते कद को देखते हुए सक्रिय राजनीति से गायब हो चुके इन नेताजी को श्रीमंत के रुप में रोशनी की किरण नजर आ रही है। क्योंकि नेताजी एक बार फिर से सक्रिय राजनीति में वापसी करना चाहते है किन्तु श्रीमंत ने अभी तक इन नेताजी को कोई भाव नहीं दिया है।
युवा कलेक्टर ने डाला गॉड फादर को धर्मसंकट में
प्रभु सुनने में आ रहा है कि एक युवा आईएएस जो वर्तमान में ,एक बड़े जिले के कलेक्टर की जिम्मेदारी निभा रहे है अब खुद से यह जिम्मेदारी छोड़ना चाहते है। अरे नहीं नहीं प्रभु ,ऐसा नही है कि उनके कलेक्टर बनने की इच्छा नही है वह कलेक्टर तो बनना चाहते है लेकिन उस जिले के जो मध्य प्रदेश के सबसे बड़े जिले मे शुमार है। इन युवा आईएएस ने अपनी इस इच्छा से अपने गॉड फादर को भी अवगत करा दिया है लेकिन प्रभु समस्या यह है कि गॉड फादर पावरफुल तो बहुत है, लेकिन पिछले कुछ समय से उनकी सरकार के मुखिया से पटरी नही बैठ रही है और युवा आईएएस जिस जिले में जाना चाहते है उस जिले की कमान सरकार के मुखिया के सबसे करीबी अफसर के हाथ में है। युवा आईएएस ने अपने गॉड फादर के सामने शर्त रख दी है कि या तो उन्हें उनके मनपसंद जिले का कलेक्टर बनवाया जाए या फिर वह कलेक्टरी छोड़ मंत्रालय की शोभा बढ़ाएंगे । युवा आइएएस की इस शर्त ने गॉडफादर को धर्मसंकंट में डाल रखा है और अब वह किसी भी तरह इस धर्मसंकट से निकलने का तरीका खोज रहे है।