भोपाल, मप्र मानव अधिकार आयोग ने रीवा जिले के एक स्वास्थ्य केन्द्र में ताला लगा होने के कारण एक प्रसूता का एम्बुलेंस में ही प्रसव होने के कारण उसके नवजात की मौत हो जाने के मामले में संज्ञान लिया है। रीवा जिले के ग्राम लढ़ निवासी ममता पति सुखलाल रावत को प्रसव पीडा होने पर परिजन उसे एम्बुलेंस से स्वास्थ्य केन्द्र, मनिकवार लेकर आये। स्वास्थ्य केन्द्र में ताला लटका था। इस पर ममता ने एम्बुलेंस में ही बच्ची को जन्म दिया, लेकिन उसे उपचार नहीं मिल पाया, तो करीब बीस मिनट बाद बच्ची की मौत हो गयी। सीएमएचओ का कहना है कि दोषियों को बख्शा नहीं जायेगा। मामले में आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, रीवा से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही का तीन सप्ताह में प्रतिवेदन तलब किया है।

मप्र मानव अधिकार आयोग ने शिवपुरी जिले में एक 27 साल के युवक को आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिये विभिन्न सरकारी दफ्तरों में चक्कर लगाने के बावजूद भी उसका आयुष्मान कार्ड न बन पाने के संबंध में प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बृजेश मांझी पिछले एक साल से अपना आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिये प्रायः हर जगह अपनी याचनाएं कर चुका है। वह बिलखते हुये बताता है कि उसने अपने दोनो पैर एक दुर्घटना में गवां दिये हैं। वह इलेक्ट्रीशियन का काम करता था। एक दिन जब वह तार लगा रहा था, तो वह नीचे गिर पड़ा, जिससे उसे अपने दोनों पैर गवांने पडे। अब वह आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिये भटक रहा है। मामले में आयोग ने कलेक्टर शिवपुरी से प्रकरण की जांच कराकर तीन सप्ताह में प्रतिवेदन तलब किया है।

मप्र मानव अधिकार आयोग ने शिवपुरी जिले के पोहरी उप स्वास्थ्य केन्द्र में हो रहे शिविर में नसबंदी कराने गई एक महिला की नसबंदी के बाद हालत बिगड़ने और अंततः उसकी मौत हो जाने के मामले में संज्ञान लिया है। जानकारी के अनुसार कौशल्या पत्नी सुमरन आदिवासी बीते रविवार को पोहरी में हो रहे शिविर में नसबंदी कराने आयी थी। सर्जन डा. पीके खरे ने उसकी नसबंदी की। आॅपरेशन के बाद उसे बाहर पलंग पर लिटा दिया गया। वहां कौशल्या दर्द से चिल्लाती रही, पर उसे देखने कोई नहीं आया। इसके बाद उसे जिला अस्पताल शिवपुरी रैफर कर दिया गया। वहां डाक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया। मामले में आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, शिवपुरी से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही का एक माह में प्रतिवेदन तलब किया है। आयोग ने यह भी कहा है कि नसबंदी के बाद प्रसूता की मृत्यु पर उसके परिजनों को राज्य शासन से देय मुआवजा/क्षतिपूर्ति राशि प्रदाय के संबंध में प्रतिवेदन में स्पष्ट टीप अंकित करें।

मप्र मानव अधिकार आयोग ने पन्ना जिले के अजयगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में हुये नसबंदी आॅपरेशन शिविर में भारी अव्यवस्थाएं होने तथा नसबंदी कराने आई महिलाओं को पलंग की बजाय जमीन पर लिटाये जाने और ऐसी ठंड में भी कंबल भी नहीं दिये जाने के मामले में भी संज्ञान लिया है। मामले में आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, पन्ना से जवाब-तलब किया है।
 
मप्र मानव अधिकार आयोग ने जिला अस्पताल गुना में डाक्टर्स की कमी होने, जो पदस्थ हैं उनके द्वारा भी अस्पताल में पदीय कर्तव्यों के पालन में घोर हीला-हवाली करने, मनमर्जी और मरीजों की अनदेखी करने के कारण मरीजों के घंटों परेशान होने के मामले में प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बीते शुक्रवार को जिला अस्पताल, गुना की ओपीडी में मरीजों की कतार लगने लगी। ओपीडी में आठ में से चार डाक्टरों की कुर्सियां खाली थीं। मरीज अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। स्टाफ से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि डाक्टर राउण्ड पर हैं। कई मरीज अपनी रिपोर्ट दिखाने के लिये बाहर खड़े थे, लेकिन डाक्टर न होने की वजह से उन्हें दो घण्टे इंतजार करना पड़। कभी-कभी डाक्टर्स की जगह पैरा मेडिकल स्टाॅफ मरीजों का इलाज करता नजर आता है। ऐसा प्रदेश के अन्य जिलों के अस्पतालों में भी प्रायः दृष्टिगोचर होता रहता है। बहरहाल, मामले में आयोग ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, गुना से जवाब-तलब किया है।

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