ई-टेंडरिंग: नौकरशाह और रसूखदारों के खिलाफ कार्यवाही पर संशय
-इस माह ईओडब्ल्यू न्यायालय में करेगा चालान पेश
-तीन हजार करोड़ से पहुंचा 75 हजार करोड़ तक
रामकुमार तिवारी
भोपाल । प्रदेश के बहुचर्चित एवं देश के सबसे बड़े ई-टेंडरिंग घोटाले में राज्य आर्थिक अपराध ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) इस माह के अंत तक न्यायालय में चालान करने की तैयारी में है। पांच विभागों का यह घोटाला तीन हजार करोड़ से सुर्खियों में आने के बाद 75 हजार करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच चुका है, लेकिन इसमें तत्कालीन नौकरशाहों और रसूखदारों पर कार्यवाही पर संशय बना हुआ है।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में यह मामला सामने आया था। प्रथम दृष्ट्या पांच विभाग पीडब्ल्यूडी, पीएचई, पीआईयू, जल संसाधन तथा सड़क परिवहन निगम में करीब तीन हजार करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया था। ईओडब्ल्यू को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने यह मामला जांच के लिए सौंपा था। ईओडब्ल्यू ने इंडियन इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी) की फोरेसिंक रिपोर्ट (कम्प्यूटर हार्डडिस्क से छेड़छाड़, डिजिटल सिंग्नेचर की जांच) के आधार पर प्रकरण दर्ज कर जांच में लिया था। तत्कालीन ईओडब्ल्यू डीजी केएन तिवारी के कार्यकाल में इसकी जांच प्रारंभ हुई तो पता चला कि सबसे बड़ा घोटाला जल संसाधन विभाग का करीब 75 हजार करोड़ का था। ई-टेंडर जारी होने के बाद विभाग ने कुछ कंपनियों को वर्क ऑर्डर जारी कर काम भी प्रारंभ करा दिया था। जांच के दौरान जिन कंपनियों द्वारा काम किया जा रहा था, उनके कर्ताधर्ताओं को नोटिस जारी कर तलब किया था। इससे पहले अन्य विभागों के तीन हजार करोड़ रुपए के घोटाले में संबंधित कंपनियों के कर्ताधर्ताओं की गिरफ्तारी भी की गई और कुछ मामलों में न्यायालय में चालान भी पेश किए गए थे।
कैसे किया था घोटाले का खेल
पांच विभागों के तत्कालीन जिम्मेदार अफसरों के डिजिटल सिंग्नेचर से टेंडर जारी किए थे। जो अॅथारिटी अफसर थे, उनमें चार विभागों के अफसरों के तबादलों के बाद उनके स्थान पर आए दूसरे अफसरों ने भी पुराने अफसरों के डिजिटल सिंग्नेचर से टेंडर जारी कर दिए। इस तरह प्रारंभ में तीन हजार करोड़ का घोटाला सामने आया था। इन विभागों के काम राज्य की बाहर की एजेंसियों को दिए गए थे। जिनमें गुजरात के बड़ोदरा, हैदराबाद, मुंबई आदि की कंपनी शामिल थीं। सूत्रों के मुताबिक इन घोटालों में विभागों के तत्कालीन जिम्मेदार नौकरशाहों के खिलाफ पुख्ता प्रमाण नहीं मिलने से उनके खिलाफ कार्यवाही पर संशय बना हुआ है। हालांकि 9 कंपनियों समेत निचले स्तर के विभागीय अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही तय मानी जा रही है। बड़ोदरा की मेंटोना कंपनी के कुछ डायरेक्टर्स की तो गिरफ्तारी भी की गई और उनके खिलाफ न्यायालय में चालान भी पेश किया गया।
फरवरी 2020 में आई थी सीईआरटी
जांच के दौरान जल संसाधन विभाग का सबसे बड़ा घोटाला सामने आने के बाद ईओडब्ल्यू ने घोटाले से संबंधित कम्प्यूटर हार्डडिस्क तथा अन्य दस्तावेज सीईआरटी दिल्ली को भेजे थे। इसके बाद फरवरी 2020 में सीईआरटी की एक टीम ईओडब्ल्यू मुख्यालय भोपाल आई थी। यहां से टेंडर संबंधी कम्प्यूटर की हार्डडिस्क से की छेड़छाड़ तथा अन्य उपकरण जांच के लिए लेकर गई थी। इनकी फोरेंसिक जांच में लंबा समय लगा। इस दौरान ईओडब्ल्यू फोरेंसिक रिपोर्ट भेजने के लिए लगातार प्रयास करती रही। केएन तिवारी के बाद ईओडब्ल्यू में सुशोभन बनर्जी को डीजी बनाया गया। उनके कार्यकाल में तमाम बिन्दुओं पर जांच जारी रही, लेकिन सीईआरटी की रिपोर्ट आने में देरी से मामले में न्यायालय में चालान पेश करने में देरी रही। सूत्रों के मुताबिक सीईआरटी की रिपोर्ट आने के बाद अब चालान पेश करने की तैयारी है।
इनका कहना है
इस माह तक भोपाल ईओडब्ल्यू ईकाई न्यायालय में चालान पेश करने की तैयारी में है। प्रकरण से संबंधित तमाम कार्यवाही लगभग पूरी कर ली गई है। घोटाले में कौन लोग शामिल हैं, इसका खुलासा चालान पेश करने पर होगा।
अजय शर्मा, डीजी, ईओडब्ल्यू