आयोग ने कलेक्टर एवं निगमायुक्त, जबलपुर से 15 दिन में मांगा जवाब

 जबलपुर   शहर में बने बस स्टाॅपों में बसों का इंतजार करने वाले महिला व पुरूष यात्रियों को बेहतर सुविधा मिले इसी उद्देश्य से लाखों रूपये खर्च कर इनके समीप टाॅयलेट्स बनाए गए थे। इन टाॅयलेट्स में कई जगह ताला पड़ा है। जरूरतमंद महिला व पुरूष यात्री नैसर्गिक जरूरतों के निस्तार के लिये यहां-वहां भटकने को मजबूर हंै। इन लोगों को यह चीज हैरान कर रही है कि नगर निगम को टाॅयलेट्स का ताला खुलवाने और वहां पर सफाई कराने की फुर्सत नहीं है, लेकिन टाॅयलेट्स के ऊपर होर्डिंग्स जरूर जगमगा रहे हैं। जिन टाॅयलेट्स का ताला खुला है, वे भी इतने ज्यादा गंदे हैं कि वहां पर खड़ा होना भी मुश्किल है। स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर निगम जबलपुर ने अब जनसुविधा केन्द्रों का भी सौदा करना शुरू कर दिया है। होर्डिंग्स एजेंसी और नगर निगम टाॅयलेट्स के ऊपर विज्ञापन लगवाकर लाखों रूपये कमा रहे हैं और आम लोगों से सुविधाओं के नाम पर सिर्फ छल किया जा रहा है। मामले में संज्ञान लेकर मप्र मानव अधिकार आयोग के माननीय कार्यवाहक अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी ने कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त, जबलपुर से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही के बारे में पंद्रह दिन में जवाब मांगा है।