तेजी के बीच मुश्किल! NCLT ने अनिल अंबानी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ दिवालिया अर्जी मानी
अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर काफी समय से चर्चा में रही, इसे लेकर निवेशकों के बीच उम्मीदें भी बढ़ गई थी लेकिन अब खबर झटके वाली है. दरअसल मुंबई की नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की बेंच ने कंपनी के खिलाफ दिवालियापन याचिका को मंजूरी दे दी है. यही नहीं इस प्रोसेस के लिए तहसीन फातिमा खत्री को इंटरिम रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल यानी IRP भी नियुक्त कर दिया गया है.
88 करोड़ गले की फांस
रिपोर्ट के अनुसार, जिन क्रेडिटर्स से कंपनी ने उधार पर सामान/सेवा ली थी उनकी ओर से IDBI ट्रस्टीशिप सर्विसेज लिमिटेड ने रिलायंस इंफ्रा के खिलाफ दिवालियापन याचिका दायर की थी. कंपनी पर 88 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया था जिसे लेकर ट्रिब्यूनल का रुख किया गया था.
रिलायंस इंफ्रा का जवाब
रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने कहा कि NCLT के आदेश का कंपनी या उसकी किसी भी सहयोगी कंपनी पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि, “हमने धुरसर सोलर पावर प्राइवेट लिमिटेड को 92.68 करोड़ रुपये का पूरा पेमेंट कर दिया है. यह पैसा एनर्जी परचेज एग्रीमेंट के अनुसार था. अब कंपनी NCLAT में अपील करेगी और 30 मई 2025 के NCLT मुंबई के आदेश को रद्द कराने की मांग करेगी.”
उन्होंने ये भी कहा कि कंपनी ने जब पूरा पैसा चुका दिया है, तो NCLT का आदेश लागू नहीं होगा.
क्या है पूरा मामला?
- इस विवाद की जड़ 2011 के उस एनर्जी परचेज एग्रीमेंट में है, जो रिलायंस इंफ्रा और धुरसर सोलर पावर प्राइवेट लिमिटेड (DSPPL) के बीच हुआ था. इस कॉन्ट्रैक्ट के तहत कंपनी को DSPPL प्लांट की सारी सोलर एनर्जी खरीदनी थी.
- 2012 में IDBI ट्रस्टीशिप ने एक डायरेक्ट एग्रीमेंट के जरिए रिलायंस इंफ्रा और DSPPL दोनों के साथ करार किया, जिससे DSPPL के सभी दावे IDBI ट्रस्टीशिप को ट्रांसफर हो गए.
- 2017 और 2018 के बीच DSPPL ने एनर्जी सप्लाई को लेकर 10 इनवॉइस जारी किए. इसके बावजूद पेमेंट नहीं हुआ. इसके चलते अप्रैल 2022 में IDBI ट्रस्टीशिप ने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत 88 करोड़ से अधिक की बकाया राशि और ब्याज की मांग करते हुए नोटिस भेजा.
- IDBI ने कोर्ट में दलील दी कि बार-बार मांग करने के बावजूद पेमेंट नहीं हुआ.
- रिलायंस इंफ्रा ने तर्क दिया कि यह याचिका डेडलाइन की वजह से अवैध है, क्योंकि आखिरी इनवॉइस सितंबर 2018 में जारी हुआ था और पेमेंट नवंबर 2018 में देना था, जबकि CIRP की मुख्य याचिका अप्रैल 2022 में दायर की गई.
- इसके साथ ही कंपनी ने यह भी कहा कि DSPPL के साथ पहले से विवाद चल रहा है, इसलिए याचिका स्वीकार नहीं की जानी चाहिए.
- रिलायंस ने CIRP के आदेश पर रोक लगाने और रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल को कंपनी का कार्यभार संभालने से रोकने की मांग की. लेकिन ट्रिब्यूनल ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि आदेश जारी होने के बाद वह इस पर रोक लगाने के अधिकार में नहीं है.
अंबानी के लिए R Infra पारस पत्थर के समान
एक समय तरक्की की राह पकड़े अनिल अंबानी का धीरे-धीरे ग्राफ गिरने लगा लेकिन फिर रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रा दोनों ने उनकी उम्मीदें बढ़ा दी थी. रिलायंस इंफ्रा कर्ज मुक्त हो गई. कंपनी ने ऐलान किया कि पूरा कर्ज चुका दिया गया है. वित्त वर्ष 2025 के दौरान कंपनी ने कुल 3,298 करोड़ का लोन चुकाया है. वहीं कंपनी ने 4,387 करोड़ रुपये का कंसोलिडेटेड प्रॉफिट भी दर्ज किया. यानी रिलायंस इंफ्रा कमाई की राह पर आगे बढ़ रही थी फिर NCLT से कंपनी को बड़ा झटका लग गया है. अब कंपनी ने कहा है कि वो इसके खिलाफ अपील करेगी. इसके बाद ये मामला किस ओर मोड़ लेगा इस पर निवेशकों की खास नजर रहेगी.