मध्य प्रदेश में बड़ा जीएसटी घोटाला सामने आया है। आर्थिक अपराध शाखा, यानी ईओडब्ल्यू ने लगभग ₹34 करोड़ के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) घोटाले का भंडाफोड़ किया है। इस संगठित ठगी के मास्टरमाइंड विनोद कुमार सहाय, जिसे पहले एन.के. खरे के नाम से भी जाना जाता था, को झारखंड की राजधानी रांची से गिरफ्तार किया गया है।

सहाय ने भोले-भाले ग्रामीणों को कर्ज दिलाने का झांसा देकर उनके आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक स्टेटमेंट, बिजली बिल और ज़मीन से जुड़े दस्तावेज हासिल किए। इसके बाद उनके नाम पर फर्जी कंपनियां बनाई गईं, जैसे कि मां नर्मदा ट्रेडर्स, नमामि ट्रेडर्स, मां रेवा ट्रेडर्स और अभिजीत ट्रेडर्स। इन कंपनियों के नाम पर करोड़ों की फर्जी बिक्री दिखाई गई, जबकि असल में कोई व्यवसायिक गतिविधि नहीं हो रही थी।

सभी कंपनियों की लॉगिन आईडी, पासवर्ड, मोबाइल नंबर और ईमेल विनोद सहाय के कब्जे में थे। वो खुद ही उनके बैंक खाते भी चला रहा था।

जांच में सामने आया है कि सिर्फ चार फर्जी कंपनियों से ही लगभग ₹33 करोड़ की इनपुट टैक्स चोरी की गई। ये धोखाधड़ी सिर्फ मध्य प्रदेश तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसका नेटवर्क छत्तीसगढ़, नागपुर और झारखंड तक फैला हुआ है।

ईओडब्ल्यू द्वारा दायर एफआईआर नंबर 0102/2025 में कुल 14 फर्मों और अन्य अज्ञात व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है। इनके खिलाफ IPC की कई गंभीर धाराओं के साथ-साथ आईटी एक्ट की धाराएं भी लगाई गई हैं।

फिलहाल आरोपी विनोद सहाय को 2 जुलाई 2025 तक पुलिस रिमांड पर लिया गया है। जांच में आगे और भी बड़े खुलासे होने की संभावना है, क्योंकि यह घोटाला और भी ज्यादा व्यापक हो सकता है।

ईओडब्ल्यू की ये कार्रवाई सरकार को हुए भारी राजस्व नुकसान को रोकने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।